राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एकबार फिर बुलडोजर गरजता नजर आएगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) को उसके मुख्यालय के निर्माण के लिए आवंटित भूमि पर बसी झुग्गी बस्ती को हटाने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालांकि, न्यायालय ने तोड़फोड़ की कार्रवाई दो जून के बजाय 15 जून को करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला ने वसंत विहार में स्लम क्लस्टर प्रियंका गांधी कैंप के निवासियों की ओर से दाखिल याचिका पर यह निर्देश दिया है।

लोग पुनर्वास के हकदार
उन्होंने दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB) से याचिकाकर्ताओं के पुनर्वास के लिए प्रतिवेदन/मांग पर विचार करने और इस बीच उन्हें एक अस्थायी आश्रय में स्थानांतरित करने के लिए कहा। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि इस कैंप में पिछले तीन दशकों से लोग रहे हैं, ऐसे में 2015 की पुनर्वास नीति के तहत यहां रह रहे लोग पुनर्वास के हकदार है।

मुख्यालय का निर्माण राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला
NDRF की ओर से ASG चेतन शर्मा ने कहा कि मुख्यालय का निर्माण राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। उन्होंने कहा कि यह कहीं अधिक महत्वपूर्ण है, कनॉट प्लेस सहित कई क्षेत्र भूकंपीय क्षेत्र में हैं। शर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ता परिवारों को बेघर करने का मकदस नहीं था क्योंकि तोड़फोड़ के लिए जारी सूचना में ही यह प्रावधान था कि वे (झुग्गी निवासी) लागू नीति के अनुसार DUSIB द्वारा चलाए जा रहे रैन बसेरों में रह सकते हैं।

2020 में NDRF को दी गई थी भूमि
न्यायालय को बताया गया कि डीडीए द्वारा 2020 में NDRF को यह विवादित भूमि आवंटित की गई थी और वर्तमान में बल का मुख्यालय पट्टे के परिसर में स्थित है, जिसके लिए किराए के रूप में करोड़ों रुपये का भुगतान किया जा रहा है। इसके बाद न्यायालय ने कहा कि NDRF मुख्यालय के निर्माण को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन पक्षकारों के हितों को संतुलित करने की आवश्यकता है। पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए संबंधित अधिकारियों से मलिन निवासियों के पुनर्वास के मुद्दे पर विचार करने के लिए कहा। उच्च न्यायालय ने DUSIB को 69 परिवारों को अस्थायी आश्रय प्रदान करने का निर्देश दिया।

Source Link

 

Picture Source :