केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995
(1995 का अधिनियम संख्यांक 7)
[25 मार्च, 1995]
देश में केबल टेलीविजन नेटवर्क के प्रचालन का
विनियमन करने और उससे संबंधित
या उसके आनुषंगिक
विषयों के लिए
अधिनियम
भारत गणराज्य के छियालीसवें वर्ष में संसद् द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :-
अध्याय 1
प्रारंभिक
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंम्भ-(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 है ।
(2) इसका विस्तार संपूर्ण भारत पर है ।
(3) यह 29 सितम्बर, 1994 को प्रवृत्त हुआ समझा जाएगा ।
2. परिभाषाएं-इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-
[(क) प्राधिकृत अधिकारी" से उसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर,-
(i) जिला मजिस्ट्रेट, या
(ii) उपखंड मजिस्ट्रेट, या
(iii) पुलिस आयुक्त,
अभिप्रेत है और इसके अंतर्गत केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा अधिकारिता की ऐसी स्थानीय सीमाओं के लिए जो उस सरकार द्वारा अवधारित की जाएं, प्राधिकृत अधिकारी के रूप में राजपत्र में अधिसूचित कोई अन्य अधिकारी भी है;]
[(कi) प्राधिकरण" से भारतीय दूर-संचार विनियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 (1997 का 24) की धारा 3 की उपधारा (1) के अधीन स्थापित भारतीय दूर-संचार विनियामक प्राधिकरण अभिप्रेत है ;
(कii) प्रसारणकर्ता" से कार्यक्रम सेवाएं प्रदान करने वाला कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह या निगमित निकाय या कोई संगठन या निकाय अभिप्रेत है और इसके अंतर्गत उसका या उसके द्वारा प्राधिकृत वितरण अभिकरण भी हैं ;
(कiii) केबल आपरेटर" से कोई ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है, जो केबल टेलीविजन नेटवर्क के माध्यम से केबल सेवा प्रदान करता है या उसका अन्यथा नियंत्रण करता है या जो केबल टेजीविजन नेटवर्क के प्रबंध और प्रचालन के लिए उत्तरदायी है और विहित पात्रता मानदंड और शर्तों को पूरा करता है ;]
(ख) केबल सेवा" से कार्यक्रमों का केबल द्वारा पारेषण अभिप्रेत है, जिसके अंतर्गत किन्हीं प्रसारण संबंधी टेलीविजन सिगनलों का केबल द्वारा पुनःपारेषण है ;
(ग) केबल टेलीविजन नेटवर्क" से ऐसी प्रणाली अभिप्रेत है जो संवृत्त पारेषण पथ के किसी सैट और सहचारी सिगनल जनन, नियंत्रण और वितरण उपस्कर से मिलकर बनी है, जो विविध अभिदाताओं द्वारा अभिग्रहण हेतु केबल सेवा प्रदान करने के लिए परिकल्पित है ;
(घ) कपंनी" से कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 3 में परिभाषित कोई कपंनी अभिप्रेत है ;
(ङ) व्यक्ति" से अभिप्रेत है,-
(i) कोई ऐसा व्यष्टि जो भारत का नागरिक है ;
(ii) व्यष्टियों का कोई ऐसा संगम या निकाय, चाहे वह निगमित हो या नहीं, जिसके सदस्य भारत के नागरिक हैं ;
[(iii) कोई ऐसी कंपनी, जो कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 3 में परिभाषित है;]
[(डत्) स्तम्भ" से कोई स्तम्भ अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत किसी नेटवर्क अवसंरचना सुविधा को चलाने, टांगने या उसकी सहायता करने के लिए कोई खम्भा, मीनार, आधार, टेक, कैबिनिट, स्थाणु या भूमि के ऊपर कोई प्रयुक्ति भी है;]
(च) विहित" से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है ;
(छ) कार्यक्रम" से कोई टेलीविजन प्रसारण अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत है,-
(i) फिल्मों, फीचरों, नाटकों, विज्ञापनों और धारावाहिकों का । । । प्रदर्शन ;
(ii) कोई दृश्य या श्रव्य अथवा दृश्य-श्रव्य सीधा प्रस्तुतिकरण या प्रस्तुति,
और कार्यक्रम सेवा" पद का तद्नुसार अर्थ लगाया जाएगा ;
2[(छत्) लोक प्राधिकारी" से,-
(i) भारत का संविधान ;
(ii) संसद् द्वारा बनाई गई किसी विधि ;
(iii) किसी राज्य विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि ;
(iv) समुचित सरकार द्वारा जारी की गई किसी अधिसूचना या किए गए आदेश,
द्वारा या उसके अधीन गठित या स्थापित कोई प्राधिकरण, निकाय या स्थानीय स्वशासन की कोई संस्था अभिप्रेत है ;
और इसके अन्तर्गत,-
(vi) समुचित सरकार के स्वामित्वाधीन, नियंत्रणाधीन या उसके द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध कराई गई निधियों द्वारा सारवान् रूप से वित्तपोषित कोई निकाय; या
(vii) सारवान् रूप से वित्तपोषित गैर-सरकारी संगठन,
भी हैं ;]
(ज) रजिस्ट्रीकरण प्राधिकारी" से ऐसा प्राधिकारी अभिप्रेत है जिसे केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, इस अधिनियम के अधीन 2[अधिकारिता की ऐसी स्थानीय सीमाओं के भीतर, जो उस सरकार द्वारा अवधारित की जांएगी,] रजिस्ट्रीकरण प्राधिकारी के कृत्यों का पालन करने के लिए विनिर्दिष्ट करे ;
(झ) अभिदाता" से कोई 1[ऐसा व्यष्टि या व्यष्टियों का संगम या कोई कंपनी या कोई अन्य संगठन या निकाय] अभिप्रेत है जो केवल आरपेटर को 1[अपने या उसके द्वारा उपदर्शित] किसी स्थान पर केबल टेलीविजन नेटवर्क के सिगनल, उसे किसी अन्य व्यक्ति को आगे पारेषित किए बिना ग्रहण करता है ।
अध्याय 2
केबल टेलीविजन नेटवर्क का विनियमन
3. केबल टेलीविजन नेटवर्क का बिना रजिस्ट्रीकरण के प्रचालन न किया जाना-कोई भी व्यक्ति केबल टेलीविजन नेटवर्क का तभी प्रचालन करेगा जब वह इस अधिनियम के अधीन केबल आपरेटर के रूप में रजिस्ट्रीकृत है :
[। । । । । । ।]
[4. केबल आपरेटर के रूप में रजिस्ट्रीकरण-(1) कोई व्यक्ति, जो केबल टेलीविजन नेटवर्क का प्रचालन करने के लिए इच्छुक है या प्रचालन कर रहा है, केबल आपरेटर के रूप में रजिस्ट्रीकरण के लिए या रजिस्ट्रीकरण के नवीकरण के लिए रजिस्ट्रीकरण प्राधिकारी को आवेदन कर सकेगा ।
(2) केबल आपरेटर ऐसे पात्रता मानदंड और शर्तों को पूरा करेगा, जो विहित की जाएं और केबल आपरेटरों के भिन्न-भिन्न प्रवर्गों के लिए भिन्न-भिन्न पात्रता मानदंड विहित किए जा सकेंगे ।
(3) धारा 4क के अधीन अधिसूचना जारी करने की तारीख से ही, उस धारा के अधीन अधिसूचित किसी राज्य, नगर, उपनगर या क्षेत्र में किसी ऐसे केबल आपरेटर को, जो अंकीय सम्बोध्य प्रणाली के माध्यम से किसी गूढ़लेखित प्ररूप में चैनलों को पारेषित या पुनः पारेषित करने का वचन नहीं देता है, नया रजिस्ट्रीकरण प्रदान नहीं किया जाएगा ।
(4) उपधारा (1) के अधीन आवेदन ऐसे प्ररूप में किया जाएगा और उसके साथ ऐसे दस्तावेज तथा फीस होगी, जो विहित की जाए ।
(5) आवेदन के प्राप्त होने पर, रजिस्ट्रीकरण प्राधिकारी अपना यह समाधान करेगा कि आवेदक ने उपधारा (4) के अधीन विहित सभी अपेक्षित जानकारी दे दी है और ऐसा समाधान हो जाने पर, आवेदक को केबल आपरेटर के रूप में रजिस्टर करेगा और उसे ऐसे निबंधनों और शर्तों के अधीन रहते हुए, जो उपधारा (6) के अधीन विहित की जाएं, यथास्थिति, रजिस्ट्रीकरण का प्रमाणपत्र प्रदान करेगा या उसके रजिस्ट्रीकरण का नवीकरण करेगा :
परंतु रजिस्ट्रीकरण प्राधिकारी, यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि आवेदक उपधारा (2) के अधीन विहित पात्रता मानदंड और शर्तों को पूरा नहीं करता है या आवेदन के साथ उपधारा (4) के अधीन यथा विहित अपेक्षित दस्तावेज और फीस संलग्न नहीं है, और लेखबद्ध किए जाने वाले कारणों से आदेश द्वारा, यथास्थिति, उसका रजिस्ट्रीकरण प्रदान करने से या नवीकरण करने से इंकार कर सकेगा और आवेदक को उसकी संसूचना दे सकेगा :
परंतु यह और कि आवेदक, रजिस्ट्रीकरण प्राधिकारी के रजिस्ट्रीकरण प्रदान करने या उसका नवीकरण करने से इंकार करने के आदेश के विरुद्ध केंद्रीय सरकार को अपील कर सकेगा ।
(6) केंद्रीय सरकार, केबल आपरेटरों के रजिस्ट्रीकरण के लिए पात्रता मानदंड के अनुपालन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य के सुरक्षा हितों, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों, लोक व्यवस्था, शिष्टता या नैतिकता, विदेशी संबंध या न्यायालय की अवमानना, मानहानि या किसी अपराध-उद्दीपन को ध्यान में रखते हुए रजिस्ट्रीकरण के ऐसे निबंधन और शर्तें, जिनके अन्तर्गत केबल आपरेटर द्वारा पूरे किए जाने वाले अतिरिक्त मानदंड या शर्तें भी हैं, विहित कर सकेगी ।
(7) केंद्रीय सरकार, यदि केबल आपरेटर ऐसे रजिस्ट्रीकरण के एक या अधिक निबंधनों और शर्तों का अतिक्रमण करता है तो उपधारा (5) के अधीन प्रदत्त रजिस्ट्रीकरण को निलंबित या प्रतिसंहृत कर सकेगी:
परंतु निलंबन या प्रतिसंहरण का ऐसा कोई आदेश केबल आपरेटर को सुने जाने का युक्तिययुक्त अवसर दिए बिना नहीं किया जाएगा ।]
[4क. अंकीय सम्बोध्य प्रणालियों, आदि के माध्यम से कार्यक्रमों का पारेषण- (1) जहां केंद्रीय सरकार का यह समाधान हो जाता है कि लोकहित में ऐसा करना आवश्यक है, वहां वह राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, प्रत्येक केबल आपरेटर के लिए किसी अंकीय सम्बोध्य प्रणाली के माध्यम से गूढ़लेखित प्ररूप में किसी चैनल के कार्यक्रमों को उस तारीख से, जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट की जाए, पारेषित या पुनःपारेषित करना बाध्यकर बना सकेगी और, यथास्थिति, भिन्न-भिन्न राज्यों, नगरों, उपनगरों या क्षेत्रों के लिए भिन्न-भिन्न तारीखें विनिर्दिष्ट की जा सकेंगी :
परंतु भिन्न-भिन्न राज्यों, नगरों, उपनगरों या क्षेत्रों में इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए अपेक्षित उपस्कर के प्रतिष्ठापन के लिए केबल आपरेटरों को समर्थ बनाने के लिए अधिसूचना में विनिर्दिष्ट तारीख ऐसी अधिसूचना जारी होने की तारीख से छह मास से पूर्वतर की नहीं होगी ।
(2) केन्द्रीय सरकार, ऐसे समुचित उपाय विहित कर सकेगी और ऐसे कदम उठा सकेगी, जो वह उपधारा (1) के अधीन जारी अधिसूचना के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक समझे ।
(3) यदि केन्द्रीय सरकार कार्य यह समाधान हो जाता है कि लोकहित में ऐसा करना आवश्यक है, और यदि प्राधिकारी द्वारा अन्यथा विनिर्दिष्ट नहीं किया गया है, तो वह, प्राधिकारी को, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, आधारिक सेवा श्रेणी बनने वाले चैनलों के पैकेज में सम्मिलित किए जाने के लिए एक या अधिक निःशुल्क प्रसारणीय चैनलों को विनिर्दिष्ट करने का निदेश दे सकेगी और मनोरंजन, सूचना, शिक्षा और वैसे ही अन्य कार्यक्रमों के मिश्रित कार्यक्रम देने के लिए उनकी किस्मों के अनुसार एक या अधिक ऐसे चैनल अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किए जा सकेंगे और आधारिक सेवा श्रेणी के लिए ऐसा टैरिफ तय कर सकेगी जिसका केबल आपरेटरों द्वारा उपभोक्ताओं को प्रस्थापना की जाएगी और उपभोक्ता को ऐसी किसी श्रेणी के लिए अभिदाय करने का विकल्प होगा :
परंतु केबल आपरेटर, अभिदाताओं को आधारिक सेवा श्रेणी में इस उपधारा के अधीन विनिर्दिष्ट टैरिफ पर पृथक् दर के आधार पर चैनलों की भी प्रस्थापना करेगा ।
(4) केंद्रीय सरकार या प्राधिकारी, उपधारा (3) में निर्दिष्ट अधिसूचना में, उस उपधारा के प्रयोजनों के लिए आधारिक सेवा श्रेणी बनने वाले चैनलों के पैकेज में सम्मिलित किए जाने के लिए निःशुल्क प्रसारणीय चैनलों की संख्या विनिर्दिष्ट कर सकेगा और, यथास्थिति, भिन्न-भिन्न राज्यों, नगरों, उपनगरों या क्षेत्रों के लिए भिन्न-भिन्न संख्या विनिर्दिष्ट की जा सकेगी ।
(5) प्रत्येक केबल आपरेटर के लिए विहित जानकारी प्रचार करना आबद्धकर होगा जिसके अन्तर्गत अभिदाय दर, सेवा की क्वालिटी के मानक और अभिदाताओं की शिकायतों की, ऐसी रीति में और ऐसे आवधिक अंतरालों पर, जो केंद्रीय सरकार या प्राधिकारी द्वारा अभिदाताओं के फायदे के लिए विहित किया जाए, दूर करने के लिए तंत्र भी है, किंतु इस तक सीमित नहीं है ।
(6) केबल आपरेटर किसी अभिदाता से, केबल टेलीविजन नेटवर्क के सिगनलों को ग्रहण करने के लिए किसी विशिष्ट प्रकार के प्रापक सेट लेने की अपेक्षा नहीं करेगा :
परंतु अभिदाता, किसी चैनल पर पारेषित कार्यक्रमों को ग्रहण करने के लिए अपने प्रापक सेट संलग्न की जाने वाली एक अंकीय संबोध्य प्रणाली का प्रयोग करेगा ।
(7) प्रत्येक केबल आपरेटर, अपनी केबल सेवाओं और नेटवर्कों से संबंधित ऐसी जानकारी, ऐसे प्ररूप में और ऐसे आवधिक अंतरालों पर, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकारों या प्राधिकारी या उनके ऐसे प्राधिकृत प्रतिनिधियों को, जो उसके द्वारा समय-समय पर विनिर्दिष्ट किए जाएं, उपलब्ध कराएगा ।
(8) इस धारा के उपबंधों के अनुसरण में, जैसे वे 25 अक्तूबर, 2011 से ठीक पूर्व विद्यमान थे, केन्द्रीय सरकार या प्राधिकारी द्वारा की गई सभी कार्रवाइयां इस अधिनियम के उपबंधों के अनुसार ऐसी कार्रवाइयों के उपांतरित किए जाने तक प्रवृत्त बनी रहेंगी ।
स्पष्टीकरण-इस धारा के प्रयोजनों के लिए,-
(क) संबोध्य प्रणाली" से ऐसी इलेक्ट्रानिक युक्ति (जिसमें हार्डवेयर और उसका सहयोजित साफ्टवेयर सम्मिलित है) या एक से अधिक इलेक्ट्रानिक युक्ति अभिप्रेत है जो उस एकीकृत प्रणाली में लगाई गई है जिसके माध्यम से केबल टेलीविजन नेटवर्क के संकेत गूढ़लेखित प्ररूप में भेजे जा सकते हैं, जिनका ऐसे अभिदाता की सुव्यक्त रुचि और अनुरोध पर, केबल आपरेटर द्वारा, अभिदाता के परिसरों में, सशर्त पहुंच प्रणाली और अभिदाता प्रबंध प्रणाली के माध्यम से अभिदाता को दिए गए प्राधिकार की सीमाओं के भीतर सक्रिय पहुंच प्रणाली वाली युक्ति या युक्तियों द्वारा कूटवाचन किया जा सकता है ;
(ख) आधारिक सेवा श्रेणी" से केबल आपरेटर द्वारा किसी अभिदाता को, उस क्षेत्र के अभिदाताओं के लिए, जिसमें उसका केबल टेलीविजन नेटवर्क सेवा प्रदान कर रहा है एकल कीमत पर अभिदाय के विकल्प के साथ प्रस्थापना किए जाने वाले निःशुल्क प्रसारणीय चैनेलों का पैकेज अभिप्रेत है ;
(ग) केबल टेलीविजन नेटवर्क के संकेत के संबंध में गूढ़लेखित" से ऐसे संकेतों का व्यवस्थित रीति से परिवर्तित करना अभिप्रेत है जिससे ऐसा सिगनल किसी संबोध्य प्रणाली के उपयोग के बिना अबोधगम्य होगा और अगूढ़लेखित" पद का तद्नुसार अर्थ लगाया जाएगा ;
(घ) केबल टेलीविजन नेटवर्क के संबंध में निःशुल्क प्रसारणीय चैनल" से ऐसा चैनल अभिप्रेत है जिसके लिए केबल आपरेटर द्वारा प्रसारणकर्ता को केबल पर उसके पुनःपारेषण के लिए कोई अभिदान फीस संदत्त नहीं करनी होती है ;
(ङ) केबल टेलीविजन नेटवर्क के संबंध में संदाय चैनल" से ऐसा चैनल अभिप्रेत है, जिसके लिए केबल आपरेटर द्वारा प्रसारणकर्ता को अभिदान फीस संदत्त करनी होती है और केबल पर उसके पुनःपारेषण के लिए प्रसारणकर्ता से सम्यक् प्राधिकार लेने की आवश्यकता होती है ;
(च) अभिदाता प्रबंध प्रणाली" से ऐसी प्रणाली या युक्ति अभिप्रेत है जिसमें नाम, पते की बाबत अभिदाता के अभिलेखों और ब्यौरे और अभिदाता द्वारा उपयोग किए गए हार्डवेयर, अभिदाता द्वारा अभिदत्त चैनलों या चैनलों के समूह, प्रणाली में यथापरिभाषित ऐसे चैनलों या चैनलों के समूह की कीमत, किसी चैनल या चैनलों के समूह को सक्रिय या असक्रिय करने की तारीख और समय किसी अभिदाता के अभिलेख में संपादित सभी कार्रवाइयों के लॉग, प्रत्येक अभिदाता को दिया गया बीजक और संदत्त रकम या प्रत्येक बिल की अवधि के लिए अभिदाता द्वारा अनुज्ञात छूट की रकम संबंधी अन्य जानकारी का भंडारण किया जाता है ।
4ख. केबल आपरेटरों का मार्गाधिकार, अधिकार और लोक प्राधिकारी द्वारा अनुज्ञा-(1) इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए, केबल सेवाएं प्रदान करने का हकदार कोई केबल आपरेटर समय-समय पर किसी लोक प्राधिकारी में निहित या उसके नियंत्रणाधीन या प्रबंधनाधीन किसी स्थावर संपत्ति में या उसके ऊपर केबल बिछा सकेगा और स्थापित कर सकेगा तथा उसके नीचे, ऊपर, उसके साथ-साथ, उसके आर-पार, उसके भीतर या उस पर खम्भों का परिनिर्माण कर सकेगा ।
(2) कोई ऐसा लोक प्राधिकारी, जिसके नियंत्रणाधीन या प्रबंधनाधीन कोई स्थावर संपत्ति निहित है, किसी केबल आपरेटर से अनुरोध प्राप्त होने पर, केबल आपरेटर को निम्नलिखित सभी या कोई कृत्य करने के लिए अनुज्ञात कर सकेगा, अर्थात्:-
(क) भूमिगत केबलों या खम्भों का परिनिर्माण और उनका अनुरक्षण; और
(ख) ऐसी केबलों और खम्भों का परिनिर्माण, उनका परीक्षण करने, मरम्मत करने, परिवर्तन करने या हटाने के लिए, समय-समय पर, संपत्ति में प्रवेश करना ।
(3) सभी केबल आपरेटरों को, भूमिगत केबल बिछाने और खम्भों का परिनिर्माण खडे़ करने के लिए इस धारा के अधीन मार्गाधिकार की सुविधा, संपत्ति को यथापूर्व करने या प्रत्यावर्तित करने अथवा लोक प्राधिकारी के विकल्प पर उसकी बाबत यथापूर्व करने या प्रत्यार्वतन प्रभारों के संदाय की बाध्यता के अधीन रहते हुए उपलब्ध होगी ।
(4) जब लोक प्राधिकारी, लोकहित में ऐसा आवश्यक और समीचीन समझता है कि इस धारा के उपबंधों के अधीन किसी केबल आपरेटर द्वारा बिछाई गई भूमिगत केबल या लगाए गए खम्भे को हटाया जाना चाहिए या स्थानान्तरित कर दिया जाना चाहिए या उसकी स्थिति में परिवर्तन कर देना चाहिए तो वह केबल आपरेटर से उसके खर्चे पर लोक प्राधिकारी द्वारा उपदर्शित समय-सीमा के भीतर, यथास्थिति, उसे हटाने या स्थानान्तरित करने या उसकी स्थिति में परिवर्तन करने की अपेक्षा कर सकेगा ।
(5) केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकारों को, केबल आपरेटरों से किसी लोक प्राधिकारी में निहित या उसके नियंत्रणाधीन या प्रबंधनाधीन किसी संपत्ति में केबल बिछाने या खम्भों के परिनिर्माण करने के अनुरोधों का त्वरित निवारण और विवादों के निपटारे, जिसके अंतर्गत लोक प्राधिकारी द्वारा अनुज्ञा देने से इंकार भी है, के लिए समुचित तंत्र स्थापित करने में समर्थ बनाने के लिए समुचित मार्गदर्शक सिद्धांत अधिकथित कर सकेगी ।
(6) इस धारा के अधीन लोक प्राधिकारी द्वारा प्रदत्त अनुज्ञा ऐसी युक्तियुक्त शर्तों के अधीन रहते हुए दी जा सकेगी, जो लोक प्राधिकारी किसी खर्च के संदाय, या किसी कार्य के निष्पादन की समय-सीमा या रीति या, केबल आपरेटर द्वारा उन अधिकारों के प्रयोग में किए गए किसी कार्य से सम्बद्ध या संबंधित किसी विषय के बारे में अधिरोपित करना ठीक समझे ।
(7) इस धारा की कोई बात किसी केबल आपरेटर को, भूमिगत केबल बिछाने या खम्भों का परिनिर्माण करने या उनका अनुरक्षण करने के प्रयोजन के लिए उपयोक्ता से भिन्न कोई अधिकार प्रदत्त नहीं करेगी ।]
5. कार्यक्रम कोड-कोई भी व्यक्ति किसी केबल सेवा के माध्यम से किसी भी कार्यक्रम का तब तक पारेषण या पुनःपारेषण नहीं करेगा जब तक कि ऐसा कार्यक्रम विहित कार्यक्रम कोड के अनुरूप न हो :
। । । । । । ।
6. विज्ञापन कोड-कोई भी व्यक्ति किसी केबल सेवा के माध्यम से किसी भी विज्ञापन का तब तक पारेषण या पुनःपारेषण नहीं करेगा जब तक कि ऐसा विज्ञापन विहित विज्ञापन कोड के अनुरूप न हो :
। । । । । । ।
7. रजिस्टर का रखा जाना-प्रत्येक केबल आपरेटर विहित प्ररूप में एक रजिस्टर रखेगा जिसमें किसी मास के दौरान केबल सेवा के माध्यम से पारेषित या पुनःपारेषित कार्यक्रमों को संक्षेप में उपदर्शित किया जाएगा और ऐसा रजिस्टर उक्त कार्यक्रमों के वास्तविक पारेषण या पुनःपारेषण के पश्चात् एक वर्ष की अवधि तक केबल आपरेटर द्वारा बनाए रखा जाएगा ।
[8. कतिपय चैनलों का अनिवार्य पारेषण-(1) केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा केबल आपरेटरों द्वारा उनकी केबल सेवा में अनिवार्य रूप से दिखाए जाने वाले दूरदर्शन के चैनलों या संसद् द्वारा या उसकी ओर से प्रचालित चैनलों के नाम और ऐसे चैनलों के अभिग्रहण और पुनःपारेषण की रीति विनिर्दिष्ट कर सकेगी:
परंतु ऐसे क्षेत्रों में, जहां धारा 4क की उपधारा (1) के उपबंधों के अनुसार अंकीय संबोध्य प्रणाली आरम्भ नहीं की गई है, वहां जहां तक, प्राइम बैंड से संबंधित अधिसूचना का संबंध है, वह दूरदर्शन के दो स्थलीय चैनलों और उस राज्य की, जिसमें केबल आपरेटर का नेटवर्क अवस्थित है, प्रादेशिक भाषा के एक चैनल तक सीमित होगी ।
(2) उपधारा (1) में निर्दिष्ट चैनलों को ऐसे चैनलों पर पारेषित किसी कार्यक्रम के किसी विलोपन या परिवर्तन के बिना पुनःपारेषित किया जाएगा ।
(3) उपधारा (1) के उपबंधों के होते हुए भी, उपधारा (1) के अनुसरण में 25 उक्तूबर, 2011 के पूर्व केन्द्रीय सरकार या प्रसार भारती (भारतीय प्रसारण निगम) द्वारा जारी कोई अधिसूचना, यथास्थिति, ऐसी अधिसूचनाओं को विखंडित या संशोधित किए जाने तक प्रर्वतन में रहेंगी ।]
9. केबल टेलीविजन नेटवर्क में मानक उपस्कर का उपयोग-कोई भी केबल आपरेटर, भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 1986 (1986 का 63) के उपबंधों के अनुसार भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा भारतीय मानकों के स्थापित किए जाने और प्रकाशन की तारीख से तीन वर्ष की अवधि की समाप्ति की तारीख से ही अपने केबल टेलीविजन नेटवर्क में किसी [उपस्कर या अंकीय संबोध्य प्रणाली] का उपयोग तब तक नहीं करेगा जब तक कि ऐसा 4[उपस्कर या अंकीय संबोध्य प्रणाली] उक्त भारतीय मानक के अनुरूप न हो ।
। । । । । । ।
10. केबल टेलीविजन नेटवर्क का किसी दूरसंचार प्रणाली में विघ्न न डालना-प्रत्येक केबल आपरेटर यह सुनिश्चित करेगा कि उसके द्वारा प्रचालित केबल टेलीविजन नेटवर्क प्राधिकृत दूरसंचार प्रणालियों [और हस्तक्षेप से संबंधित ऐसे मानकों के अनुरूप जो केंद्रीय सरकार द्वारा विहित किए जाएं] के कार्यकरण में किसी भी प्रकार से विघ्न न डाले ।
[10क. केबल नेटवर्क और सेवाओं का निरीक्षण-(1) भारतीय तार अधिनियम, 1885 (1885 का 13) या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अंतर्विष्ट उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, केंद्रीय सरकार या उसके द्वारा प्राधिकृत उसके अधिकारी या प्राधिकृत अभिकरण को केबल नेटवर्क और सेवाओं का निरीक्षण करने का अधिकार होगा ।
(2) केंद्रीय सरकार या उसके प्राधिकृत प्रतिनिधियों के, ऐसा निरीक्षण करने के अधिकार का प्रयोग करने के लिए किसी पूर्व अनुज्ञा या सूचना की अपेक्षा नहीं होगी ।
(3) निरीक्षण, उन परिस्थितियों के सिवाय, जहां ऐसी सूचना देने से निरीक्षण का प्रयोजन विफल होगा, साधारणतया युक्तियुक्त सूचना देने के पश्चात् ही किया जाएगा ।
(4) केंद्रीय सरकार या उसके प्राधिकृत अधिकारियों या उसके द्वारा इस प्रकार प्राधिकृत अभिकरण द्वारा ऐसा निदेश दिए जाने पर, केबल आपरेटर अभिहित स्थान या स्थानों पर अपने स्वयं के खर्चे पर केंद्रीय सरकार या उसके अधिकारियों या उसके द्वारा इस प्रकार प्राधिकृत अभिकरण द्वारा या उसके पर्यवेक्षण के अधीन वे केबल सेवा को विधिपूर्ण अन्तर्रुद्ध करने या उसकी सतत् मानीटरी करने के लिए आवश्यक उपस्कर, सेवाएं और सुविधाएं उपलब्ध कराएगा ।]
अध्याय 3
कतिपय उपस्कर का अभिग्रहण और अधिहरण
[11. केबल टेलीविजन नेटवर्क के प्रचालन के लिए उपयोग किए गए उपस्कर का अभिग्रहण करने की शक्ति-यदि किसी प्राधिकृत अधिकारी के पास यह विश्वास करने का कारण है कि किसी केबल आपरेटर द्वारा धारा 3, धारा 4क, धारा 5, धारा 6, धारा 8, धारा 9, धारा 10 के उपबंधों का उल्लंघन किया गया है या किया जा रहा है तो वह केबल टेलीविजन नेटवर्क को प्रचालित करने के लिए ऐसे केबल आपरेटर द्वारा उपयोग किए जाने वाले उपस्कर का अभिग्रहण कर सकेगा:
परंतु धारा 5 और धारा 6 के उल्लंघन की दशा में, उपस्कर का अभिग्रहण केबल आपरेटर के स्तर पर सृजित चैनल पर उपलब्ध कराई गई कार्यक्रम संबंधी सेवा तक सीमित होगा ।]
12. अधिहरण-धारा 11 की उपधारा (1) के अधीन अभिगृहीत उपस्कर तब तक अधिहरण का दायी होगा जब तक कि वह केबल आपरेटर, जिससे उपस्कर अभिगृहीत किया गया है, उक्त उपस्कर के अभिग्रहण की तारीख से तीस दिन की अवधि के भीतर स्वयं को धारा 4 के अधीन केबल आपरेटर के रूप में रजिस्टर नहीं करा लेता है ।
13. उपस्कर के अभिग्रहण या अधिहरण से अन्य दंड पर प्रभाव न पड़ना-धारा 11 या धारा 12 में निर्दिष्ट उपस्कर का अभिग्रहण या अधिहरण किसी ऐसे दंड के दिए जाने को नहीं रोकेगा, जिसका उससे प्रभावित व्यक्ति इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन दायी हैं ।
14. अभिगृहीत उपस्कर के केबल आपरेटर को अवसर का दिया जाना-(1) धारा 12 में निर्दिष्ट उपस्कर के अधिहरण के न्यायनिर्णयन का कोई आदेश तब तक नहीं किया जाएगा जब तक कि केबल आपरेटर को उन आधारों की, जिन पर ऐसे उपस्कर का अधिहरण करने की प्रस्थापना है, जानकारी देते हुए तथा ऐसे युक्तियुक्त समय के भीतर, जो सूचना में विनिर्दिष्ट किया जाए, अधिहरण के विरुद्ध लिखित रूप में अभ्यावेदन करने का और यदि वह चाहता है तो मामले में सुनवाई का, उचित अवसर देते हुए, लिखित सूचना न दे दी गई हो :
परन्तु जहां ऐसी सूचना उपस्कर के अभिग्ररण की तारीख से दस दिन की अवधि के भीतर नहीं दी जाती है वहां ऐसा उपस्कर उस अवधि की समाप्ति के पश्चात् उस केबल आपरेटर को, जिससे उसे कब्जे में लिया गया था, लौटा दिया जाएगा ।
(2) उपधारा (1) में जैसा अन्यथा उपबन्धित है उसके सिवाय, सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908 का 5) का के उपबन्ध, जहां तक हो सके, उपधारा (1) में निर्दिष्ट प्रत्येक कार्यवाही को लागू होंगे ।
15. अपील-(1) उपस्कर अधिहरण का न्यायनिर्णयन करने वाले न्यायालय के किसी विनिश्चय से व्यथित कोई व्यक्ति उस न्यायालय में अपील कर सकेगा, जिसमें ऐसे न्यायालय के विनिश्चय के विरुद्ध अपील होती है ।
(2) अपील न्यायालय, अपीलार्थी को सुनवाई का अवसर देने के पश्चात्, उस विनिश्चय की, जिसके विरुद्ध अपील की गई है, पुष्टि करते हुए या उसका उपांतरण या पुनरीक्षण करते हुए ऐसा आदेश पारित कर सकेगा जो वह ठीक समझे अथवा उस मामले को, ऐसे निदेशों सहित, जो वह ठीक समझे, यदि आवश्यक हो तो अतिरिक्त साक्ष्य लेने के पश्चात्, नए सिरे से, यथास्थिति, विनिश्चय या न्यायनिर्णयन करने के लिए वापस भेज सकेगा ।
(3) उपधारा (2) के अधीन किए गए न्यायालय के आदेश के विरुद्ध आगे और कोई अपील नहीं होगी ।
अध्याय 4
अपराध और शास्तियां
16. इस अधिनियम के उपबन्धों के उल्लंघन के लिए दण्ड- [(1)] जो कोई इस अधिनियम के किसी उपबन्ध का उल्लंघन करेगा वह, -
(क) प्रथम अपराध के लिए कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से;
(ख) प्रत्येक पश्चात्वर्ती अपराध के लिए कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष की हो सकेगी, और जुर्माने से, जो पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा,
दण्डनीय होगा ।
[(2) दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, धारा4क का उल्लंघन इस धारा के अधीन संज्ञेय अपराध होगा ।]
17. कम्पनियों द्वारा अपराध-(1) जहां इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किसी कम्पनी द्वारा किया गया है वहां ऐसा प्रत्येक व्यक्ति, जो उस अपराध के किए जाने के समय उस कम्पनी के कारबार के संचालन के लिए उस कंपनी का भारसाधक और उसके प्रति उत्तरादायी था और साथ ही वह कम्पनी भी, ऐसे अपराध के दोषी समझे जाएंगे तद्नुसार और अपने विरुद्ध कार्यवाही किए जाने और दंडित किए जाने के भागी होंगे:
परन्तु इस उपधारा की कोई बात किसी ऐसे व्यक्ति को दण्ड का भागी नहीं बनाएगी यदि वह यह साबित कर देता है कि अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था या उसने ऐसे अपराध के किए जाने का निवारण करने के लिए सब सम्यक् तत्परता बरती थी ।
(2) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, जहां इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध, किसी कम्पनी द्वारा किया गया है और यह साबित हो जाता है कि वह अपराध कम्पनी के किसी निदेशक, प्रबन्धक, सचिव या अन्य अधिकारी की सहमति या मौनानुकूलता से किया गया है या उस अपराध का किया जाना उसकी किसी उपेक्षा के कारण माना जा सकता है वहां ऐसा निदेशक, प्रबन्धक, सचिव या अन्य अधिकारी भी उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और तद्नुसार अपने विरुद्ध कार्यवाही किए जाने और दंडित किए जाने का भागी होगा ।
स्पष्टीकरण-इस धारा के प्रयोजनों के लिए, -
(क) कम्पनी" से कोई निगमित निकाय अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत फर्म या व्यष्टियों का अन्य संगम है; और
(ख) फर्म के संबंध में, निदेशक" से उस फर्म का भागीदार अभिप्रेत है ।
18. अपराधों का संज्ञान-कोई भी न्यायालय इस अधिनियम का अधीन दण्डनीय किसी अपराध का संज्ञान, [किसी प्राधिकृत अधिकारी द्वारा] लिखित रूप में किए गए परिवाद पर ही करेगा, अन्यथा नहीं ।
अध्याय 5
प्रकीर्ण
19. कतिपय कार्यक्रमों का पारेषण लोकहित में प्रतिषिद्ध करने की शक्ति-जहां [कोई प्राधिकृत अधिकारी] लोकहित में ऐसा करना आवश्यक या समीचीन समझता है वहां वह ऐसे आदेश द्वारा किसी केबल आपरेटर को 4[ किसी कार्यक्रम या चैनल का, यदि वह धारा 5 में निर्दिष्ट विहित कार्यक्रम कोड और धारा 6 में निर्दिष्ट विज्ञापन कोड के अनुरूप नहीं है या यदि उससे] विभिन्न धार्मिक, मूल वंशीय, भाषायी या प्रादेशिक समूह या जातियों या समुदायों के बीच असौहार्द्र अथवा शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाएं, धर्म, मूलवंश, भाषा, जाति का समुदाय के आधारों पर अथवा किसी भी अन्य आधार पर, संप्रवर्तित होनी संभाव्य हो या जिससे लोक प्रशांति में विघ्न पड़ना संभाव्य हो, पारेषण या पुनः पारेषण करने से प्रतिषिद्ध कर सकेगा ।
20. केबल टेलीविजन नेटवर्क के प्रचालन को लोकहित में प्रतिषिद्ध करने की शक्ति- [(1)] जहां केन्द्रीय सरकार लोकहित में ऐसा करना आवश्यक या समीचीन समझती है वहां वह किसी केबल टेलीविजन नेटवर्क के प्रचालन को ऐसे क्षेत्रों में जो वह, राजपत्र में, अधिसूचना द्वारा, इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे, प्रतिषिद्ध कर सकेगी ।
[(2) जहां केन्द्रीय सरकार-
(i) भारत की प्रभुता या अखंडता; या
(ii) भारत की सुरक्षा; या
(iii) भारत के किसी विदेशी राज्य के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों; या
(iv) लोक व्यवस्था, शिष्टाचार या नैतिकता,
के हित में ऐसा करना आवश्यक या समीचीन समझती है वहां वह, आदेश द्वारा किसी चैनल या कार्यक्रम के पारेषण या पुनःपारेषण को विनियमित या प्रतिषिद्ध कर सकेगी ।
(3) जहां केन्द्रीय सरकार वह समझती है कि किसी चैनल का कोई कार्यक्रम धारा 5 में निर्दिष्ट विहित कार्यक्रम कोड या धारा 6 में निर्दिष्ट विहित विज्ञापन कोड के अनुरूप नहीं है वहां वह, आदेश द्वारा, ऐसे कार्यक्रम के पारेषण या पुनःपारेषण को विनियमित या प्रतिषिद्ध कर सकेगी ।]
21. अन्य विधियों का लागू होना वर्जित न होना-इस अधिनियम के उपबन्ध, ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 (1940 का 23), भेषजी अधिनियम, 1948 (1948 का 8), संप्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग निवारण) अधिनियम, 1950 (1950 का 12), ओषधि (नियंत्रण) अधिनियम, 1950 (1950 का 26), चलचित्र अधिनियम, 1952 (1952 का 37), ओषधि और चमत्कारिक उपचार (आक्षेपणीय विज्ञापन) अधिनियम, 1954 (1954 का 21), खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954 (1954 का 37), पुरस्कार प्रतियोगिता अधिनियम, 1955 (1955 का 42), प्रतिलिप्यधिकार अधिनियम, 1957 (1957 का 14), व्यापार और पण्य वस्तु चिह्न अधिनियम, 1958 (1958 का 43), स्त्री अशिष्ट रूपण (प्रतिषेध) अधिनियम, 1986 (1986 का 60), [उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 (1986 का 68) और भारतीय दूर-संचार विनियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 (1997 का 24) के अतिरिक्त होंगे, न कि उनके अल्पीकरण में] ।
22. नियम बनाने की शक्ति-(1) केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के उपबन्धों को कार्यान्वित करने के लिए नियम, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, बना सकेगी ।
(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियमों में निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबन्ध किया जा सकेगा, अर्थात्: -
[(क) धारा 4 की उपधारा (2) के अधीन केबल आपरेटरों के विभिन्न प्रवर्गों के लिए पात्रता मानदंड;]
4[(कक) धारा 4 की उपधारा (4) के अधीन आवेदन का प्ररूप, उसके साथ संलग्न किए जाने वाले दस्तावेज और संदेय फीस;]
4[(ककक) धारा 4 की उपधारा (6) के अधीन रजिस्ट्रीकरण के निबंधन और शर्तें;]
[(कककक) उस धारा की उपधारा (1) के अधीन अधिसूचना के कार्यान्वयन के लिए धारा 4क की उपधारा (2) के अधीन समुचित उपाय;]
(ख) धारा 5 के अधीन कार्यक्रम कोड;
(ग) धारा 6 के अधीन विज्ञापन कोड;
(घ) धारा 7 के अधीन किसी केबल आपरेटर द्वारा रखे जाने वाले रजिस्टर का प्ररूप;
5[(घक) धारा 10 के अधीन किसी दूर-संचार प्रणाली के साथ हस्तक्षेप के लिए हस्तक्षेप मानकों के विनिर्देश;]
(ङ) कोई अन्य विषय जो विहित किया जाना अपेक्षित है या विहित किया जाए ।
(3) इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम, बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा । यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा । यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभाव हो जाएगा । किन्तु नियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।
23. निरसन और व्यावृत्ति-(1) केबल दूरदर्शन नेटवर्क (विनियमन) अध्यादेश, 1995 (1995 का अध्यादेश संख्यांक 3) इसके द्वारा निरसित किया जाता है ।
(2) ऐसे निरसन के होते हुए भी उक्त अध्यादेश के अधीन की गई कोई बात या कार्रवाई इस अधिनियम के तत्स्थानी उपबंध के अधीन की गई समझी जाएगी ।
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