पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मात्र गुजारा भत्ता मिलने का अर्थ यह नहीं है कि वृद्ध माता-पिता बच्चों को संपत्ति से बेदखल नहीं कर सकते। जस्टिस विकास बहल ने होशियारपुर जिले की 90 वर्षीय विधवा गुरदेव कौर की याचिका स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किए हैं।

डीसी को दिए ये आदेश
इसके साथ ही डीसी को आदेश दिया कि संबंधित मकान का कब्जा लेने के लिए SSP की मदद लें और कोई इसमें बाधा डाले तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए।

गुरदेव कौर को उसके ही बेटे ने घर से निकाल दिया था। उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और मांग की थी कि उसे डीसी होशियारपुर के 23 अगस्त 2018 को पारित अंतिम आदेश के अनुसार आवासीय मकान पर कब्जा, भरण-पोषण के बकाया के साथ सौंपने के निर्देश दिए जाएं।

2015 से ही अपना हक पाने के लिए भटक रही बुजुर्ग
याचिकाकर्ता साल 2015 से ही अपना हक पाने के लिए दर-दर भटक रही है, जबकि अगस्त 2023 में जिला मजिस्ट्रेट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में आदेश पारित किया था, जिसमें उसके बेटे को तीन हजार रुपये प्रतिमाह भरण-पोषण भत्ता देने और उसके स्वामित्व वाले मकान का कब्जा सौंपने का आदेश दिया गया था।

हाईकोर्ट ने बेटे का आचरण बताया दुर्भाग्यपूर्ण
डीसी के निर्णय को वृद्धा के बेटे ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे पांच अप्रैल 2022 को खारिज कर दिया गया था। इसके बावजूद वृद्धा को उस रिहायशी मकान का कब्जा नहीं दिया गया, जिस पर उसके बेटे ने कब्जा कर रखा है।

बेटे ने तर्क दिया था कि चूंकि याचिका के लंबित रहने के दौरान उसने भरण-पोषण का बकाया चुका दिया था, इसलिए उसकी मां संबंधित घर से उसे निकालने की मांग नहीं कर सकती। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने बेटे के आचरण दुर्भाग्यपूर्ण मानते हुए उसे घर खाली करने और भरण-पोषण देने को कहा है।

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