चुनावों के दौरान धारा 144 लगाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी किया है। जिसमें कोर्ट ने कहा कि तीन दिन में आवेदन पर प्राधिकरण फैसला करे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति चुनाव के बारे में मतदाताओं को शिक्षित करने के लिए यात्रा आयोजित करने की अनुमति के लिए आवेदन करता है तो संबंधित प्राधिकारी को ऐसे आवेदन दायर होने के 3 दिन के भीतर निर्णय लेना होगा।

जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच इस बात की जांच करने के लिए सहमत हो गई है कि क्या जिला मजिस्ट्रेट एक नियमित मामले के रूप में चुनाव से पहले धारा 144 लागू कर सकते हैं? याचिकाओं की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि जब तक शांति भंग होने की आशंका न हो आप धारा 144 का आदेश जारी नहीं कर सकते। यह चुनाव से पहले किया जा रहा है और सभी रैलियां आदि रोक दी गई हैं।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र यात्रा के संबंध में अनुमति के लिए हमने आवेदन किया है ताकि मतदाता अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग कर सकें। दरअसल सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय और निखिल डे ने सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल कर कहा है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के बहाने मनमाने ढंग से धारा 144 नहीं लगाई जा सकती। याचिका में कहा गया है कि उन्होंने लोकतंत्र यात्रा आयोजित करने की अनुमति के लिए राजस्थान चुनाव आयोग, मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार और अन्य अधिकारियों को कई पत्र लिखे। लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

याचिका मे कहा गया कि धारा 144 का उद्देश्य सार्वजनिक शांति बनाए रखने,अशांति को रोकने और युद्ध जैसी स्थिति से निपटने के लिए एक अस्थायी उपाय है। हालांकि चुनाव के दौरान धारा 144 का बार-बार और व्यापक उपयोग न केवल इसके उद्देश्यों के उलट बल्कि बिना किसी डर या धमकी के वोट देने के अधिकार के प्रयोग में भी हस्तक्षेप करता है।

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