सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (19 अप्रैल, 2024) को केरल के एक न्यायिक मजिस्ट्रेट को बड़ी राहत दी है। देश की सर्वोच्च अदालत ने केरल हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें उन्होंने न्यायिक मजिस्ट्रेट के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने से इनकार कर दिया था। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आदेश में एक बलात्कार पीड़िता के नाम का खुलासा किया था। पीड़िता के नाम का खुलासा किए जाने को लेकर उनके खिलाफ केरल हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था।

मामले में न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि यह चूक अनजाने में हुई होगी। ऐसा इसलिए हुआ होगा क्योंकि न्याय अधिकारी पर कार्यभार था। न्यायमूर्ति रॉय ने बताया कि क्या आपके मन में न्यायिक अधिकारी के प्रति कोई शिकायत है? हमारे पास कई मामले हैं और हम गलतियां भी करते हैं। क्या आप चाहते हैं कि हम जुर्माना लगाएं?

क्या है मामला?

यह पूरा मामला केरल के कट्टक्कडा के एक ट्रायल कोर्ट से जुड़ा है। ट्रायल कोर्ट ने एक आदेश पारित किया था, इस दौरान न्यायिक मजिस्ट्रेट ने बलात्कार के आरोपी को दी गई जमानत को रद्द करने से इनकार कर दिया था। हालांकि, मजिस्ट्रेट ने ब्लात्कार पीड़िता के नाम का खुलासा किया था। पीड़िता की पहचान को सार्वजनिक किए जाने को लेकर न्यायिक मजिस्ट्रेट के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई। न्यायिक मजिस्ट्रेट के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर केरल हाई कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ किसी भी कार्रवाई का आदेश देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने बलात्कार पीड़िता की पहचान की रक्षा के लिए सभी मामलों के रिकॉर्ड को तत्काल गुमनाम करने के आदेश पारित किए थे।

सिंगल बेंच ने क्या सुनाया फैसला?

हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाया कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 228A, जो बलात्कार जैसे कुछ अपराधों के पीड़ितों की पहचान उजागर करने के कृत्य को अपराधी मानती है। यह सिर्फ उन लोगों पर लागू होती है जो पीड़िता की पहचान छापते हैं या प्रकाशित करते हैं। न्यायाधीश ने कहा कि यह प्रावधान उन स्थितियों को कवर नहीं करता है, जहां अदालत कार्यवाही के दौरान अनजाने में ऐसी जानकारी का खुलासा करती है।

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया और मामले में केरल उच्च न्यायालय के फैसले को सही ठहराया। कोर्ट ने इसके साथ ही याचिका को खारिज कर दिया।

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