सुप्रीम कोर्ट में गलत हलफनामा दाखिल करने के आरोप में तेलंगाना सरकार पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगा है। गुरुवार (18 अप्रै‌ल) को यह जुर्माना लगाने के साथ ही देश की सबसे बड़ी अदालत ने आदेश दिया कि यह राशि उन अधिकारियों से वसूली जानी चाहिए जिन्होंने गलत हलफनामा दाखिल करने में मदद की। 

यह मामला राज्य में फॉरेस्ट लैंड (वन भूमि) को निजी भूमि के रूप में घोषित करने से जुड़ा है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के रुख पर तीखी नाराजगी जताते पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र को लेकर भी कड़ी टिप्पणी की। जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एस वी एन भट्टी की बेंच ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि मामले में राज्य ने पहले यह रुख अपनाया था कि जमीन फॉरेस्ट लैंड है और बाद में रुख बदलते हुए जमीन को निजी व्यक्तियों के हवाले करने के लिए समिति बनाई। यहां तक कि ऐसा करने के लिए जिले के कलेक्टर ने समिति गठित की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फॉरेस्ट लैंड को निजी व्यक्तियों के हवाले करने के लिए कोई भी समिति बनाने का अधिकार जिला कलेक्टर को नहीं है। फॉरेस्ट लैंड को निजी भूमि घोषित करना गलत है क्योंकि यह रिजर्व फॉरेस्ट का हिस्सा है। यहां तक कि हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से पेश किए गए हलफनामे पर भरोसा करके फॉरेस्ट लैंड को निजी भूमि मान लिया था।

तेलंगाना सरकार को किसे देने होंगे पांच लाख रुपए?

सुनवाई के बीच सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले में गलत हलफनामा दाखिल करना अद्भुत है। तेलंगाना सरकार को इसके लिए पांच लाख रुपये राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) के पास जमा करने होंगे। जजों की बेंच ने यह भी बताया कि राज्य सरकार चाहे तो फर्जी हलफनामा दाखिल करने वालों के खिलाफ जांच कर सकती है। साथ ही जुर्माने की जो राशि दी जानी है, वह उन अधिकारियों से वसूल सकती है, जिन्होंने गलत हलफनामा बनाने में मदद की। फॉरेस्ट रिजर्व लैंड को निजी व्यक्तियों को सौंपने करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगी थी, जिस पर गुरुवार को सुनवाई हुई।

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