उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि वो गढ़वाल क्षेत्र के ऋषिकेश में हाईकोर्ट की एक बेंच स्थापित करने पर विचार करे और इस बारे में 21 मई तक अपना जवाब दाखिल करे। हालांकि बार एसोसिएशन ने ऐसी किसी भी कोशिश का कड़ा विरोध करने की बात कही है। बार एसोसिएशन का कहना है कि राज्य के निर्माण के वक्त बहुत सोच-समझकर ही राजधानी देहरादून को बनाया गया था, वहीं हाईकोर्ट नैनीताल को मिला था।

इस बारे में उत्तराखंड बार एसोसिएशन के अध्यक्ष DCS रावत ने कहा, जब वकीलों ने उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा नई बेंच स्थापित करने पर विचार करने को लेकर राज्य सरकार को मौखिक आदेश देने का विरोध किया, तो मुख्य न्यायाधीश ने प्रस्तावित स्थानांतरण को लेकर वकीलों से सुझाव देने को कहा। हालांकि सुझाव मांगना कोर्ट के आदेश का हिस्सा नहीं हैं।

सुनवाई के दौरान निर्देश दिए
बुधवार को 'उत्तराखंड राज्य बनाम गुलशन भनोट' मामले में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और जस्टिस राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने मुख्य सचिव राधा रतूड़ी (जो ऑनलाइन उपस्थित रहकर राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रही थीं) को निर्देश दिया कि ऋषिकेश में IDPL की खाली जमीन पर हाईकोर्ट स्थापित करने पर विचार करें और याचिका दायर कर 21 मई तक कोर्ट में जवाब दाखिल करें।

वकीलों के बीच मच गया हंगामा
हाईकोर्ट के मौखिक आदेश के बाद वहां उपस्थित वकीलों के बीच हंगामा मच गया। इसके बाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने एक बैठक बुलाई, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि वे अदालत का विभाजन पसन्द नहीं करेंगे और इसका विरोध करेंगे। लंच के बाद बार प्रतिनिधियों ने मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी से मुलाकात की और उन्हें इस बारे में एक ज्ञापन सौंपा। जिसमें उनसे अपना आदेश वापस लेने और उस पर पुनिर्विचार करने का निवेदन किया गया। इसके बाद चीफ जस्टिस ने उनसे कहा कि उन्होंने अभी तक आदेश पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, साथ ही उन्होंने बार एसोसिएशन से भी हाईकोर्ट को स्थानान्तरित करने के संबंध में सुझाव देने के लिए कहा, क्योंकि यह मुद्दा मूल रूप से वकीलों द्वारा अदालत के ध्यान में लाया गया है।

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